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शोक का नहीं यह प्रेरणा लेने का समय है -मामा तारे को दी भावांजलि

ग्वालियर:- 


स्व. रमाकांत शंकर तारे उपाख्य मामा तारे का जीवन दिव्य ध्येय के लिए समर्पित रहा। विपत्ति और प्रतिकूलताओं के बीच भी वह चट्टान की तरह संघ के कार्य में लगे रहे। अंतिम समय तक वह संघ विचार के लिए ही जिए।  जब उनके शरीर ने साथ देना बंद कर दिया तब भी वह शाखा के समय कुर्सी पर बैठकर प्रणाम की अवस्था में प्रार्थना करते थे। उनका जीवन संघमय था। 


अंतिम समय में उनकी कोई लौकिक इच्छा शेष नहीं बची थी, वरन् संघ का शताब्दी वर्ष देखने की लालसा थी। हमें विश्वास है कि वह फिर पुनर्जन्म लेकर संघ का न सिर्फ शताब्दी वर्ष देखेंगे बल्कि संघ के कार्यों खासकर रामराज के सपने को साकार होते हुए देखेंगे। यह शोक का नहीं बल्कि उनके जीवन से प्रेरणा लेने का समय है। 


यह विचार वक्ताओं ने सेवानिवृत्त शिक्षक श्री अनिल तारे एवं स्वदेश के समूह संपादक श्री अतुल तारे के पिताजी श्री रमाकांत शंकर तारे उपाख्य मामा तारे की  श्रद्धांजलि सभा में व्यक्त किए। जयेंद्रगंज स्थित माधव मंगलम पैलेस में रविवार को आयोजित श्रद्धांजलि सभा में शहर के गणमान्यजनों ने भावांजलि अर्पित की। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्य क्षेत्र के क्षेत्र कार्यकारिणी सदस्य यशवंत इंदापुरकर ने मामा तारे की यादों में खोते हुए कहा कि हम लोग बाल्यकाल में एक ही परिसर में रहे थे। इसलिए वह हमारे वरिष्ठ की तरह ही थे। उनकी आत्मीयता हमें ही नहीं बल्कि उनके संपर्क में आए प्रत्येक स्वयंसेवक को मिली। संघ उनके जीवन में सर्वव्याप्त था। संघ के खिलाफ वह एक शब्द सुनना भी पसंद नहीं करते थे। आजीवन उन्होंने स्वयंसेवक की भांति व्यवहार निभाया। संघ के निष्ठावान और दायित्ववान स्वयंसेवकों के प्रति उनका दृष्टिकोंण सदैव सम्मान का रहा। 


  पूर्व सांसद विवेक शेजवलकर ने मामा तारे को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वह समर्पित स्वयंसेवक थे। लोगों से उनका व्यवहार आत्मीयपूर्ण रहा। भाजपा के प्रदेश मंत्री लोकेंद्र पाराशर ने कहा कि मामा तारे के रोम-रोम में संघ व्याप्त था। वह ईमानदारी और पारदर्शिता पर विशेष बल देते थे। मध्यभारतीय हिंदी साहित्य सभा के अध्यक्ष डॉ.कुमार संजीव ने कहा कि वह देहातीत थे। कई बीमारियों से जूझने के बाद भी वह सबसे पहले मिलने आने वालों से उनकी कुशल क्षेम पूछते थे। संघ के खिलाफ तो वह एक शब्द भी सुनना पसंद नहीं करते थे। व्यवसायी लखनलाल जी, कल्याण सिंह कौरव ने भी उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए। स्व.मामा तारे के सुपुत्र श्री अनिल तारे एवं श्री अतुल तारे ने भी अपने पिताजी से जीवन में ईमानदारी सहित अन्य मिली सीखों को याद करते हुए संकल्प दोहराया कि हम उनके बताए मार्ग पर जीवन पर्यंत चलेंगे। श्रद्धांजलि सभा में भजनांजलि पियूष तांबे एवं प्रतीक्षा तांबे ने दी। संचालन नरेंद्र कुंटे ने किया।


मामा तारे को श्रद्धांजलि देने वालों में संत कृपाल सिंह महाराज, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मध्यभारत प्रांत के प्रांत प्रचारक विमल गुप्ता, मध्य भारत सह संपर्क प्रमुख नवल शुक्ला, ग्वालियर विभाग संघचालक प्रहलाद सबनानी, विभाग सहकार्यवाह मुनेंद्र सिंह, मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, विधायक डॉ.सतीश सिंह सिकरवार, भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल, पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा, लाल सिंह आर्य, संगीत एवं कला विवि के कुलपति पं.साहित्य कुमार नाहर, आईआईटीटीएम के निदेशक डॉ.आलोक शर्मा, भाजपा महानगर जिलाध्यक्ष अभय चौधरी, ग्रामीण जिलाध्यक्ष कौशल शर्मा, स्वदेश के प्रबंध संचालक यशवर्धन जैन, संचालक अजय बंसल, प्रांशु शेजवलकर, नागरिक सहकारी बैंक के अध्यक्ष महेंद्र अग्रवाल, पूर्व अध्यक्ष विनोद सूरी, पूर्व विधायक मुन्नालाल गोयल, रमेश अग्रवाल, घनश्याम पिरौनिया, अटेर के पूर्व विधायक मुन्ना सिंह भदौरिया, वरिष्ठ भाजपा नेता वेद प्रकाश शर्मा, वरिष्ठ साहित्यकार जगदीश तोमर, समाजसेवी दीपक सचेती, 

देवेंद्र गुर्जर, किशन मुद्गल, पप्पू वर्मा, सुरेंद्र शर्मा, रामेश्वर भदौरिया, डॉ.श्रीप्रकाश लोहिया, चेंबर के अध्यक्ष प्रवीण अग्रवाल, मानसेवी सचिव दीपक 

अग्रवाल, वीआईएसएम के डायरेक्टर सुनील राठौर, कृषि विवि के कुलसचिव अनिल सक्सेना,राज चड्ढा, डॉ.एएस भल्ला, डॉ.अशोक मिश्रा, पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता, खुशबू गुप्ता, सुनील शर्मा, अमर सिंह माहौर, मीना सचान सहित बड़ी संख्या में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ अधिकारी, स्वयंसेवक, राजनेता, व्यापारी, पत्रकार, समाजसेवी एवं गणमान्य नागरिक शामिल रहे।

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