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गणिनी आर्यिकाश्री स्वस्तिभूषण माताजी मुरार सकल जैन समाज ने गाजेबाजे के साथ कराया भव्य नगर प्रवेश

गणिनी आर्यिकाश्री स्वस्तिभूषण माताजी 13 साल बाद मुरार नगर पधारी, स्वागत  में बिछाए पलक पांवड़े गुरुमां भक्तों का उमडा जनसैलाब

मुरार में जगह जगह रंगोली से सज्जकर स्वागत गेट बनकर मंच पर भक्तों ने किया पदाप्रच्छलन व उतारी आरती।


ग्वालियर-: ग्वालियर धर्मनगरी मुरार में 13 साल के बाद जहाजपुर "स्वस्ति धाम" प्रणेता परम पूज्या गणिनी आर्यिका श्री 105 स्वस्ति भूषण माताजी ससंघ  का भव्य मंगल नगर प्रवेश हुआ। नगर मंगल प्रवेश आज रविवार को सीपी कॉलोनी स्थित दिगंबर लाला जैन मंदिर से शुरू हुआ। गणिनी आर्यिकाश्री ससंघ की आगवानी राज्य बीज निगम अध्यक्ष मुन्नालाल गोयल सहित हजारों संख्या मौजूद गुरुमां भक्तों ने भक्तिभाव के साथ आगवानी की।


जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि जहाजपुर "स्वस्ति धाम" प्रणेता परम पूज्या गणिनी आर्यिका श्री 105 स्वस्ति भूषण माताजी, गणिनी आर्यिकाश्री लक्ष्मीभूषण माताजी ससंघ का 13 साल के बाद भव्य नगर प्रवेश शोभायात्रा निकल गई। नगर प्रवेश शोभायात्रा में महिलाएं केशरिया साड़ियों में डांडिया नृत्य करती हुईं एवं पुरुष वर्ग व्हाइट परिधान में जयघोष लगते हुए चल रहे थे। 

शोभायात्रा में सबसे पहले घोड़े पर युवक जैन ध्वज लेकर चल रहे थे। गोपाल छबील मंडली के राधाकृष्ण जैन भजनों पर नृत्य व बैंडबाजों की धुन पर युवा व पुरुष नृत्य करते हुए चल रहे थे। 


सीपी कॉलोनी से संतर जैन धर्मशाला तक दिगंबर बड़ा जैन मंदिर समिति, शुभकामना परिवार, जैन युवा सेवा मंडल, पुलक जन चेतन मंच, राष्ट्रीय जैन महिला जागृति मंच, सुपर परिवार, बड़ा गांव मित्र मंडल, जैन मिलन पुरुष/महिला सिध्दार्थ, महिला मंडल, बालिका मंडल आदि ने रंगोली सज्जकर स्वागत मंच तैयार कर गणिनी आर्यिकाश्री लक्ष्मीभूषण माताजी गणिनी आर्यिकाश्री  स्वस्तिभूषण माताजी के चरणों का पाद प्रक्षालन कर भव्य दीपकों से आरती उतारकर मंगल आशीर्वाद लिया। मंगल प्रवेश शोभायात्रा सीपी कालोनी से शुरू होकर अग्रसेन चौराहे, सदर बाजार, बारादरी चौराहे से होती हुई चित्त संतर स्थित दिगंबर जैन धर्मशाला पहुंची। 


13 साल के भी गुरुसंतो के प्रतीक श्रद्धा का उत्सव देखने मिला-गणिनी आर्यिकाश्री

नगर प्रवेश के दौरान गणिनी आर्यिकाश्री स्वस्तिभूषण माताजी  ने चित संतर स्थित जैन धर्मशाला में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि 13 साल के बाद भी गुरु संतो के प्रतीक श्राध्द, लग्न व भक्ति का उत्साह देखने को मिला। जहाँ संत आते है वह बसंत आ जाता है। आपका पुण्य आपका विश्व गुरुमां के प्रतीक आस्था केंद्र है। समाज मे अगर सबसे आगे है तो वह युवाशक्ति है। युवा के अंदर अगर धर्म संस्कार है तो उनका जीवन धर्म के प्रतीक उज्जवल रहेगा।

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