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जीएसटी में आने वाली कठिनाईयों को संकलित कर उनके सरलीकरण के सुझाव का मांग पत्र तैयार करने हेतु चेम्बर भवन में बैठक आयोजित

 ग्वालियर 20 जून:-


जीएसटी में आने वाली कठिनाईयों को संकलित कर उनके सरलीकरण के सुझाव का मांग पत्र तैयार करने हेतु चेम्बर भवन में आज दोपहर 3.30 बजे ‘चेम्बर भवन` में बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में जीएसटी विशेषज्ञ के रूप में सीए दीपक वाजपेयी उपस्थित थे।


बैठक का संचालन कर मानसेवी सचिव डॉ. प्रवीण अग्रवाल ने बताया कि जीएसटी के प्रावधानों के सरलीकरण की मांग लगातार म.प्र. चेम्बर ऑफ इण्डस्ट्री, ग्वालियर सहित भारतवर्ष के विभिन्न व्यापारिक संगठनों द्बारा की जाती रही है क्योंकि जीएसटी के प्रावधान बहुत जटिल हैं और इससे व्यापारी जकड़ा हुआ महसूस करता है। इसके प्रावधानों में अनजाने में हुई गलती का खामियाजा भी व्यापारी को बहुत बड़ा भुगतना पड़ता है। ई-वे बिल में दिये गये समय में गंतव्य स्थान पर शासन-प्रशासन के कारण हुई देरी पर भी व्यापारी पर ही जुर्माना लगाया जाता है। सरकार द्बारा व्यापारिक संगठनों से सरलीकरण पर सुझाव आमंत्रित किये गये हैं, उसी तारतम्य में आज की बैठक आहूत की गई है। इन सुझावों को हमें शीघ्र ही भारत सरकार तक पहुंचाना है और आज की बैठक में आये सुझावों को हम शीघ्र ही संभवत: कल ही भेजेंगे।

बैठक में पधारे व्यापारी एवं उद्योगपति सर्वश्री महेश मुदगल, पंकज गोयल, संजय धवन, आशुतोष जी, मोहन गर्ग, दीपक सेठ, मनीष मोटवानी, नवीन तनेजा, आशीष अग्रवाल, आशीष जादौन, अमित तिवारी, अंकुर जी, संजय अग्रवाल, कपिल जयसिंघानी, सुशांत सिंघल, रोशन जैन, राजीव वैश्‍य, संदीप बंसल, नरेन्द्र कुमार मंगल, पवन कुमार अग्रवाल, माधव अग्रवाल आदि ने कहा कि जीएसटी के प्रावधानों का सरलीकरण अवश्य ही होना चाहिए क्योंकि हर प्रकार का व्यवसायी व्यापार कर रहा है, इसलिए जीएसटी के प्रावधान ऐसे होना चाहिए जो कि एक सामान्य व्यापारी को भी समझ में आ जाएं। व्यापारियों ने सुझाव देते हुए कहा कि सरकार एमएसएमई को बढावा देना चाहती तो एमएसएमई द्बारा उत्पादित ऐसे उत्पाद जिनका उपयोग गरीब उपभोक्ता करते हैं उन्हें जीएसटी से मुक्त रखा जाना चाहिए जैसे कि नॉन ब्राण्डेड आटा जो छोटी-छोटी इकाईयों द्बारा उत्पादित किया जाता है, उसे जीएसटी से मुक्त रखा जाना चाहिए। जीएसटी में सबसे बड़ी परेशानी यह आती है कि माल के क्रेता द्बारा जीएसटी चुका दिया गया है परंतु विक्रेता द्बारा पोर्टल में नहीं दर्शाने से क्रेता को जीएसटी का इनपुट नहीं मिल पाता वहीं कर भी दुबारा क्रेता से ही मांगा जाता है, इसमें सुधार किया जाना चाहिए। आर.सी.एम. को वापिस लिया जाना चाहिए, जीएसटीआर-2 को लागू किया जाना चाहिए। एमएसएमई को ई-इनवॉइस से छूट मिलना चाहिए। कम्पोजिशन की लिमिट को डेढ करोड़ से बढाया जाना चाहिए ताकि अधिक से अधिक व्यापारी इसका लाभ ले सकें और सरकार का भी राजस्व बढ सके। जीएसटीआर-1 फाइल करने की तारीख 11 से बढाकर 20 की जाना चाहिए। जीएसटी हेल्प डेस्क प्रारंभ की जाना चाहिए। जीएसटी के मामलों के निराकरण के लिए ट्रिब्यूनल का गठन होना चाहिए।

बैठक में जीएसटी विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित सीए दीपक वाजपेयी ने कहा कि जीएसटी को लागू हुए पांच वर्ष हो चुके हैं और आज दिनांक तक इसमें हजारों संशोधन हो चुके हैं और आज भी इसके सरलीकरण के लिए सुझाव आमंत्रित किये जा रहे हैं। इससे यह प्रदर्शित होता है कि जीएसटी में खामियां अब भी मौजूद हैं।  सरकार ने जीएसटी को पोर्टल बेस बना दिया है। आज जीएसटी रजिस्ट्रेशन में कई डॉक्यूमेंट मांगे जा रहे हैं, और एक बार यदि आपका रजिस्ट्रेशन कैंसिल हो गया तो आपको बहुत परेशानी आयेगी क्योंकि लोकल लेवल पर इसमें कोई अधिकारी कुछ नहीं कर सकते हैं। आपने कहा कि जीएसटी की दरें भी रेशनलाइज किया जाना चाहिए क्योंकि जीएसटी की दरें काफी अधिक हैं।

बैठक के अंत में मानसेवी सचिव-डॉ. प्रवीण अग्रवाल ने कहा कि आज की बैठक में आयी हुई समस्याओं को हमारे विशेषज्ञ तकनीकी रूप से तैयार करेंगे और शीघ्र ही संभवत: कल ही हम आज की बैठक में प्राप्त हुए सुझावों को समाहित करते जीएसटी के सरलीकरण हेतु सुझाव भारत सरकार को प्रेषित करेंगे और इन सुझावों को प्रदेश के समस्त चेम्बर्स सहित फेडरेशन भोपाल एवं फिक्की नई दिल्ली को भी भेजा जायेगा।

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