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पंचकल्याणक में मुनिश्री के सानिध्य में प्रतिष्ठित होने आई प्रतिमाएं

पंचकल्याणक महोत्सव के तैयारिया जोरो से चल रह


ग्वालियर-: 


अयोध्या नगरी फूलबाग में राष्ट्रसंत मुनिश्री विहर्ष सागर महाराज, विजयेश सागर महाराज, मुनिश्री विनिबोध सागर व ऐलक श्री विनियोग सागर महाराज के सान्निध्य में 18 से 24 फरवरी तक आयोजित होने वाले श्री मज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक जिन बिम्ब प्रतिष्ठा महामहोत्सव में प्रतिष्ठित होने वाली प्रतिमाएं जयपुर से तैयार होकर आईं।


पंचकल्याक महोत्सव आयोजन के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि मुनिश्री विहर्ष सागर ससंघ  के सानिध्य में फूलबाग स्थित श्री दिगंबर जैन तीर्थ गोपाचल पर्वत मंदिर के इतिहास में प्रथम बार भव्य पंचकल्याकण होने के साथ गोपाचल पर्वत मंदिर के लिए प्रतिष्ठित होने आई जयपुर से मूलनायक 1008  भगवान पार्श्वनाथ की चांदी की प्रतिमा 11 इंच, चौबीस तीर्थंकर अष्टधातु की प्रतिमाएं 7 इंच, भगवान धर्मनाथ 11 इंच, भगवान आदिनाथ 9 इंच की है। वही तानसेन नगर जैन मंदिर के लिए भगवान वासपूज्य चांदी की 7 इंच की प्रतिमा सहित जिनबिम्ब प्रतिमाओ की प्रतिष्ठित होगी।



*फूलबाग मैदान बनेगी अयोध्या नगरी, मंच व पंडाल सजाने लगें*


 पंचकल्याक महोत्सव के अध्यक्ष सिंघई महेश जैन गुरु व महामंत्री पवन जैन पत्रकार ने बताया कि शहर का हदय स्थल अयोध्या नगरी (फूलबाग मैदान) 18 से शुरू होने वाले पंचकल्याणक महोत्सव के लिए विशाल गोल डोम पंडाल लगाना शुरू हो गया है। इस भव्य पंडाल में सात दिवसीय मुनिश्री व विद्वान पंडित प्रतिष्ठाचार्य द्वारा धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम की गतिविधियाँ आरंभ होगी। पंडाल 150 बाई 150 में बनाया गया है। मंच 40 चौड़ 80 लंबाई का बनाया गया है। 3000 हजार लोगों की बैठने की व्यवस्था की गई है।



*सेवा से ही हनुमान ने राम के हृदय में स्थान बनाया था-मुनिश्री*


राष्ट्रसंत मुनिश्री विहर्ष सागर महाराज ने आज शुक्रवार को नई सड़क स्थित चंपाबाग धर्मशाल में संबोधित करते हुए कहाकि धर्मात्मा वह हैं जो मानवता से प्यार करता हो मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं हो सकता है। जो व्यक्ति इंसान की गोद में जन्म लेकर इंसान से प्यार नहीं कर सका वह भगवान से भी प्यार नहीं कर सकता है। भगवान से वही प्यार कर सकता है जो चींटी के अंदर भी भगवान देखने की नजर रखता हो। सेवा वह धर्म है जिससे सभी के दिलों में स्थान बनाया जा सकता है सेवा से ही हनुमान ने राम के हृदय में स्थान बनाया था। जिस कारण राम को कहना पड़ा कि हनुमान तो मेरा भरत के समान प्रिय भाई है। 




 इस मौके पर पंचकल्याक के महामंत्री पवन जैन, संयोजक विनय कासलीवाल, जैन मिलन के अध्यक्ष संजीव अजमेरा, सचिव योगेश जैन, पंकज बाकलीवाल, आदि मौजूद थे!

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