चेम्बर ऑफ कॉमर्स ने वर्ष 2022-23 के राज्य बजट हेतु प्रेषित किए सुझाव
मध्य प्रदेश के व्यापार एवं उद्योग को प्रतिस्पर्धात्मक बनाने व राजस्व में बढोत्तरी के लिए कर की दरें समीपवर्ती प्रदेशों के समान की जायें : एमपीसीसीआई
ग्वालियर 17 फरवरी:-
मध्य प्रदेश के व्यापार एवं उद्योग को प्रतिस्पर्धात्मक बनाने व राजस्व में बढोत्तरी के लिए कर की दरें समीपवर्ती प्रदेशों के समान रखे जाने की प्रमुख मांग के साथ म.प्र. चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री (एमपीसीसीआई) द्बारा आज मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री-श्री शिवराज सिंह चौहान, वाणिज्यिक कर मंत्री-श्री जगदीश देवड़ा, ऊर्जा मंत्री-श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को वर्ष 2022-23 के राज्य बजट हेतु बजट पूर्व ज्ञापन प्रेषित किया गया है।
एमपीसीसीआई अध्यक्ष-विजय गोयल, मानसेवी सचिव डॉ प्रवीण अग्रवाल संयुक्त अध्यक्ष-प्रशांत गंगवाल, उपाध्यक्ष-पारस जैन, मानसेवी संयुक्त सचिव-ब्रजेश गोयल एवं कोषाध्यक्ष-वसंत अग्रवाल द्बारा प्रेस को जारी विज्ञप्ति में अवगत कराया गया है कि हमारा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ, राजस्थान, गुजरात की सीमाओं से घिरा हुआ है। प्रदेश के व्यापार एवं उद्योग को प्रतिस्पर्धात्मक बनाने के लिए आवश्यक है कि हमारे यहां कोई भी कर की दर ऐसी न हो, जो कि पड़ौसी राज्यों की तुलना में अधिक हो तथा यदि किसी वस्तु पर पड़ौसी राज्यों में कर नहीं लगता है तो हमारे यहां भी नहीं लगना चाहिए। इससे हमारे प्रदेश के व्यापार एवं उद्योग प्रतिस्पर्धात्मक होकर उन्नति करेंगे और इससे सरकार को भी अधिक राजस्व मिल सकेगा।
एमपीसीसीआई द्बारा निम्नानुसार वित्तीय वर्ष 2022-23 के प्रस्तावित बजट पर सुझाव प्रेषित किये गये हैं:-
पेट्रोल-डीजल पर वेट की दर को कम किया जाए
राज्य सरकार द्वारा पेट्रोल-डीजल पर सम्पूर्ण देश में वेट सर्वाधिक वसूल किया जा रहा है । म. प्र. में पेट्रोल-डीजल पर कर की दरें पड़ौसी राज्यों से काफी अधिक होने के कारण प्रदेश में विकास की गति पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है क्योंकि इससे माल ढुलाई पर सीधा असर पड़ रहा है । वहीं जो पेट्रोल-डीजल से संबंधित व्यवसाई हैं, उनके व्यापार पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है । इसलिए यह आवश्यक है कि राज्य में पेट्रोल-डीजल पर वैट की दर को पड़ौसी राज्यों से कम किया जाए, ऐसा होने से विक्रय की मात्रा बढ़ेगी, जिससे अधिक विक्रय होने से टैक्स की अधिक वसूली होगी और इससे राजस्व पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा । पेट्रोल-डीजल पर वैट की दर कम होने से राज्य के आम नागरिकों सहित व्यवसाईयों एवं उद्योगपतियों को भी महँगाई की मार से कुछ राहत मिलेगी ।
संपत्ति के पंजीयन शुल्क में कमी की जाए
मध्यप्रदेश में संपत्ति के रजिस्ट्रेशन पर 12.5 प्रतिशत शुल्क लगता है। इसके अतिरिक्त 5 प्रतिशत जीएसटी भी लगाया जाता है। इस प्रकार संपत्ति के रजिस्ट्रेशन पर कुल 17.5 प्रतिशत शुल्क लगता है। जबकि मध्यप्रदेश के पड़ौसी राज्य जैसे महाराष्ट्र आदि में यह 4 से 5 प्रतिशत तक ही लगता है। संपत्ति के पंजीयन पर अधिक शुल्क होने की वजह से यह देखने में आ रहा है कि लोग संपत्ति की खरीद-फरोख्त में पॉवर ऑफ अटॉर्नी, एग्रीमेंट जैसे तरीके अपना रहे हैं, जिससे वाद-विवाद होते हैं। यदि प्रदेश में संपत्ति के रजिस्ट्रेशन के शुल्क की दर को कम किया जाता है तो लोग संपत्ति को शीघ्रता से रजिस्टर्ड कराने के लिए प्रेरित होंगे और सरकार के राजस्व में भी बढोत्तरी होगी। अत: मध्यप्रदेश में संपत्ति के रजिस्ट्रेशन पर शुल्क को पड़ौसी राज्यों की भांति समान रखा जाए।
वृत्ति कर को समाप्त किया जाए
व्यवसाईयों पर जीएसटी सहित अन्य कई कर देय हैं । इसलिए प्रोफेशनल टैक्स को समाप्त किया जाए। व्यवसाई का विभिन्न करों की कार्यवाही में ही अधिकतम समय व्यतीत हो रहा है, जिसके कारण वह अपने कारोबार पर पूरी तरह से ध्यान केन्द्रित नहीं कर पा रहे हैं । अतएव वृत्तिकर को समाप्त कर, प्रदेश के व्यवसाईयों को राहत प्रदान की जाए।
म.प्र. के बाहर से आने वाले दलहन पर मण्डी शुल्क से छूट प्रदान की जाए
प्रदेश में दलहनों का उत्पादन बहुत कम है, जिससे प्रदेश की दाल मिल/कारखाने केवल 4 माह ही चल पाते हैं शेष अवधि के लिए दाल मिलों को दलहन राज्य के बाहर अथवा विदेशों से आयात करना पड़ता है। म.प्र. में मण्डी शुल्क की दर निकटवर्ती राज्यों जैसे-गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ की तुलना में काफी अधिक हैं, इससे मध्यप्रदेश का दाल उद्योग इन राज्यों के मुकाबले प्रतिस्पर्धा में लगातार पिछड़ता जा रहा है, हालात इतने प्रतिकूल हो गये हैं कि कई दाल मिलें अन्य राज्यों में शिफ्ट होने लगी हैं। पूर्व के वर्षों में मण्डी शुल्क से छूट प्रदान की जाती थी, यह छूट बंद होने से प्रदेश की दाल मिलें संकट में हैं। अतएव अनुरोध है कि दाल मिलों को संकट से उबारने के लिए प्रदेश के बाहर से आयातित दलहन पर मण्डी शुल्क से छूट प्रदान की जाए।
व्यापारी-उद्योगपतियों के लिए आपदा-विपदा फण्ड बनाया जाए
प्रदेश के व्यापार एवं उद्योग को बढावा देने के लिए आवश्यक है कि सरकार द्बारा एक आपदा-विपदा फण्ड बनाया जाए ताकि व्यापार एवं उद्योग में प्राकृतिक अथवा आकस्मिक दुर्घटना घटित होने पर, सहायता राशि उपलब्ध कराई जा सके एवं इस राशि को आसान किश्तों में संबंधित से वापिस लिया जाए।
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