ऐतिहासिक टाउन हॉल में हुआ भव्य आयोजन
रसिक श्रृंखला में जले सुरों के अलाव
ग्वालियर:-
संगीत की अपनी तासीर है। कहते है सच्चे सुर पत्थर को भी पिघला सकते हैं। सुरों की ऐसी ही तासीर आज महाराज बाड़े के ऐतिहासिक टाउन हॉल में नुमायाँ हुई। रसिक श्रृंखला के तहत यहां हुई संगीत सभा मे सुरों ने ऐसी तासीर पैदा की कि सर्दी का अहसास जाता रहा। इस सभा मे विदुषी साधना गोरे का सुमधुर ख़याल गायन एव पंडित श्रीराम उमड़ेकर का मन को झंकृत कर देने वाला सितार वादन सुनकर रसिक मुग्ध हो गए।
ग्वालियर ख़याल गायिकी का सबसे प्राचीन घराना है। यहां की समृद्ध गायिकी को संवर्धित और प्रोत्साहित करने के लिए स्मार्ट सिटी ने राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय के साथ मिलकर रसिक श्रृंखला की शुरुआत की है। स्मार्ट सिटी का मक़सद संगीत की विरासत को पर्यटन से जोड़ने का भी है, ताकि देश विदेश के पर्यटक यहां की सांगीतिक, सांस्कृतिक और पुरातात्विक विरासत से जुड सकें।
बहरहाल, रसिक श्रृंखला की पहली सभा का आगाज़ ग्वालियर की प्रख्यात गायिका विदुषी श्रीमती साधना गोरे के ख़याल गायन से हुआ। आपने गायन की शुरुआत राग मधुवंती से की। इस राग में उन्होंने दो बंदिशें पेश की। तिलवाड़ा में निबद्ध विलंबित बंदिश के बोल थे- "पिया घर नाहीं' जबकि एकताल में द्रुत बंदिश के बोल थे- "दरसन बिनु नाहीं चैन"। दोनों ही बंसिशो को गाने में आपने खूब कौशल दिखाया। गायन का समापन आपने मिश्र तिलंग में दादरा से किया जिसके बोल थे- "साँवरिया तुम संग लागे नैन"। आपके साथ तबले पर विकास विपट एवं हारमोनियम पर मनोज बमरेले ने मिठास भरी संगत का प्रदर्शन किया।
दूसरी प्रस्तुति मैं ग्वालियर के वरिष्ठ संगीत साधक पंडित श्रीराम उमड़ेकर का सुमधुर सितार वादन हुआ। उन्होंने राग ललित ध्वनि में वादन प्रस्तुत किया। राग की बारीकियों का निर्वहन करते हुए आपने वादन के विविध आयामों से रसिकों को मुग्ध कर दिया। आपके साथ तबले पर पांडुरंग तैलंग एवं पखावज पर जयवंत गायकवाड़ ने संगत की।
शुरू में स्मार्ट सिटी की सीईओ श्रीमती जयति सिंह ,राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविधालय की प्रभारी कुलपति प्रो रंजना टोनपे , प्रभारी कुलसचिव दिनेश पाठक संस्कार भारती के प्रांत महामंत्री अतुल अधौलिया, ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
इस अवसर पर अपने संक्षिप्त उदबोधन में स्मार्ट सिटी की सीईओ श्रीमती जयति सिंह ने कहा कि हमारा मकसद संगीत को बढ़ावा देने के साथ उसे पर्यटन से जोड़ने का है ताकि बाहर से आने वाले पर्यटक यहां की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को जान सके। रसिक श्रृंखला इसी कड़ी में शुरू की गई है। आने वाले दिनों में संगीत से जुड़े स्थानों पर ऐसे ओर कार्यक्रम होंगे। उन्होंने कहा कि यहां के कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए हम सभी संसाधन उपलब्ध कराएंगे। आयोजन में सहयोग करने के लिए उन्होंने म्यूजिक यूनिवर्सिटी का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन संस्कृति कर्मी अशोक आनंद ने किया।
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