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भागवत में शब्द के रूप में विराजते हैं भगवान - सुशील शास्त्री

 



डामरोंन कलां में श्रीमद भागवत  कथा प्रारम्भ।


करैरा:-

विकास खंड करैरा के ग्राम डामरोंन कलां में श्रीमद भागवत कथा ज्ञान  स्व.श्याम विहारी श्रीवास्तव के पुत्र अरुण कुमार,अनिल कुमार,अरविन्द कुमार अवनेश कुमार,संजय, अवधेश श्रीवास्तव द्वारा सर्व जन हिताय सर्व जन सुखाय कराया जा रहा है।

प्रथम दिवस में कलश यात्रा भव्यता पूर्वक हुई जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीण परिवारी जन उपस्थित रहे ।

प्रसिद्ध कथा व्यास पं. श्री सुशील कुमार शास्त्री ने प्रथम दिवस की कथा में भागवत महात्मय की विस्तृत जानकारी दी उन्होंने कथा में बताया कि श्रीमद भागवत पुराण सभी शास्त्रों का सार है। जब वेदों के संकलन और महाभारत, पुराणों की रचना के बाद  नारद मुनि ने उन्हें श्रीमद भागवत पुराण लिखने को प्रेरित किया। यह श्री वेदव्यासजी की आखिरी रचना है और इस कारण पूर्व के सारे रचनाओं का निचोड़ है।

वेदव्यास जी का नाम “कृष्ण द्वैपायन” है। कृष्ण अर्थात श्याम वर्ण के और द्वैपायन अर्थात छोटे कद के या द्वीप में निवास करने वाले।  व्यासदेव स्वयं भगवान के शक्त्यावेश अवतार थे और आने वाले कलयुग का ध्यान कर उन्होंने वेदों को ४ भाग में विभक्त किया और शास्त्रों को लिखित रूप में संरक्षित किया।भगवान स्वयं शब्दात्मक स्वरुप में भागवत में विराजते हैं।

यह आयोजन 18 मार्च 2021 तक चलेगा जिसमें प्रतिदिन 1 बजे से शाम 6 बजे तक कथा होगी ।

आयोजक परिवार ने  अधिक संख्या में उपस्थित होने का आग्रह किया है

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