राजपत्र में नेशनल पार्क को आवंटित जमीन को कर दी निजी स्वामित्व की भूमि, कंपनी ने बिना एनओसी काम शुरू किया
शिवपुरी।
सोलर प्लांट जमीन घोटाले में लोकायुक्त द्वारा 10 नामजद लोगों पर एफआइआर दर्ज करने के बाद जमीन की खरीद-फरोख्त में हुआ बड़ा घोटाला सामने आया है। ठेकेदार के साथ सरकारी अधिकारियों ने मिलकर करोड़ों रुपये की एक हजार बीघा जमीन की खरीदी में घोटाला किया है। शिवपुरी के नगरीय क्षेत्र से लगे चंदनपुरा व विनेगा की भूमि से संबंधित 8 रजिस्ट्रियां यहां भूमि क्रेता शिवयोग इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के हक में संपादित की गई। पंजीयकृत भूमि में से रजिस्ट्री क्रमांक एमपी 3929229171565744 की भूमि संचित है, जबकि शेष 7 रजिस्ट्रियों वाली भूमि सिंचित है।
रजिस्ट्री अभिलेख के भीतर सभी भूमियां सिंचित होना उल्लेखित किया गया है। जांच में यह तथ्य सामने आया कि रजिस्ट्रार कार्यालय के सब रजिस्ट्रार अशोक कुमार श्रीवास्तव महेंद्र सिंह कौरव द्वारा कंपनी को को लाभ पहुंचाए जाने की दृष्टि से सिंचित भूमि को असिंचित बताकर उनकी रजिस्ट्रियां कर दीं। शासन को राजस्व हानि पहुंचाई। इसके चलते इनके विरुद्ध लोकायुक्त पुलिस ने मामला संज्ञान में लिया। इस संबंध में उच्च स्तरीय प्रशासनिक जांच भी हुई है। कमिश्नर एमबी ओझा की रिपोर्ट भी इसमें जांच की जद में आती दिखाई दे रही है, क्योंकि इसमें राजपत्र में दर्ज माधव नेशनल पार्क की जमीन को निजी भूमि माना है।
एफआइआर में दर्ज जानकारी के अनुसार वन संरक्षक व डायरेक्टर माधव राष्ट्रीय उद्यान ने कई चीजें बताई हैं। इन रजिस्ट्रियों में दर्ज सर्वे की भूमि का सर्वे नंबर 1225 है। इस पूर्व खसरा क्रमांक 404 व 405 है। शिवपुरी कलेक्टर के पत्र संख्या 8 मई 1958 के 11102/1958 द्वारा माधव राष्ट्रीय उद्यान शिवपुरी को आवंटित किए जाने से यह भूमि माधव नेशनल पार्क की सीमा से 2 किलोमीटर के अंदर होकर माधव राष्ट्रीय उद्यान शिवपुरी के अधिसूचित इको सेंसेटिव जोन की 2 किलोमीटर सीमा के अंदर होना मध्य प्रदेश शासन के राजपत्र में भी घोषित किया गया जा चुका था। यह भूमि भारत सरकार के राजपत्र में अधिसूचना भी 13 सितंबर 2017 को प्रकाशित हो गई थी। उप पंजीयक द्वारा रजिस्ट्री के दौरान इस तथ्य को सत्यापित ना कराते हुए नेशनल पार्क की भूमि की रजिस्ट्रीयां कर दी गईं।
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